Saturday 16 December 2017

Remembring the legend-"KALAM"


अब्दुल कलाम की आवाज़

और मेरी कविता के सुर

                                                                       - श्रुति 

जब ह्रदय में सदाचार होता है ,

चरित्र में सुंदरता होती है

जब चरित्र में सुंदरता होती है,

तो घर में सौहार्द होता है

जब घर में सौहार्द होता है,

तो राष्ट्र में व्यवस्था होती है

जब राष्ट्र में व्यवस्था होती है,

तो विश्व में शांति होती है|

शांति, ईश्वर और विज्ञान दोनों का सामंजस्य

होता है  

ईश्वर तथा विज्ञान दोनों हमें 

सत्य और जीवन के यथार्थ की ओर ले जाते है

यथार्थता से संतुष्टि होती है

खुशियों का पालना,विशुद्ध रूप से

पैसो से प्राप्त नहीं होता

बल्कि काम में संतुष्टि

संबंधों में संतुष्टि

योगदान में संतुष्टि

और सबसे बढ़कर समाज से जो हमें

मिला है

उससे ज्यादा वापस देने की संतुष्टि

ख़ुशी की परिचायक है

लक्ष्य साधो, लक्ष्य को पाने का साहस करो

आज हम जो है,वह हमारा भाग्य है

कल जो होंगे,वह हमारे आज का कर्म तय करेगा

जीवन  एक निरंतर बहती धारा है

हर दिन अनोखा और हर काम

निराला है

अपने काम से प्यार करो

और जीवन के प्रत्येक क्षण का आनंद लो

आओ हम उनकी आवाज़ों

को बुलंद करें

जब युवाओं का स्वर,एक सुर में गूंजेगा

"मैं यह कर सकता हूँ

हम यह कर सकते है

भारत यह कर सकता है’’

तो भारत को विकसित होने से

कोई नहीं रोक सकता है|

हर युग में ऐसे लोग आते रहते है

अपने विचारो से हेम सींचते और कामयाब

 बनाते रहते है

पर एक कलाम ही आया था

जो बच्चों का सरमाया था

जिसने ईश्वर और विज्ञान की रचना को

आध्यात्मिकता से जोड़ा था

“है विचार उनके,

है संकल्प उनका,

है शब्द उनके ,

है वाक्य उनका”

पर बांधी मैंने एक लय में,

तुम्हें आज सुनाने को

लेना प्रण हमें है आज साथियों,

विकसित देश बनने को |

मरे हुआ को तो जीवित नहीं कर सकते
पर उनके विचारों को तो ज़िंदा रख सकते है
यदि तुम चाहते हो, अब्दुल कलाम के विचारो को
ज़िंदा रखना
तो उनके विचारों को हम अपने कर्मों से,
जोड़कर 
हम एक नया कलाम गढ़ सकते हैं |  

जय हिन्द ! जय भारत !


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Tuesday 12 December 2017

The Revival

निरपराध की अभिव्यक्ति

                                                                                       -  श्रुति
 

In the loving memory of school life.....

We never noticed how time passed, From rubbing the blackboard and feeling for it proud, To counting the photographs for reading a lesson out...